संस्था बयार की और से रविवार को प्रेमचंद रंगशाला में नाटक ' नर श्रेष्ट ' का मंचन किया गया। मनोज मानव सिंह की लिखित व निर्देशित नाटक ' नर श्रेष्ट ' ने समाज में मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान बताया है। वही प्रेम और मानवता के साथ - साथ समाज को बेहतर बनाने की बात कही है। नाटक में नरवादी दृष्टिकोण को चुनौती देकर मूल्यों की महत्वपूर्णता को बढ़वा दिया और व्यक्ति को समाज के उत्कृष्ट बनने के लिए एकजुट होने की आवश्य्कता को साबित किया है। वही समाज में आज भी पुरुष की प्रधानता है तो वही दूसरे ओर भगवान राम, कृष्ण ,माता सीता और राधा का प्रेम के प्रति समपर्ण तथा स्थापित मूल्यों के अतुलनीय अध्यात्म की श्रेष्ट्ता के मानक रूप में मानवता का सन्देश देती है। नाटक समाज का दर्पण होता है ' 'नर श्रेष्ट ' जैसी नाटक समाज में जागरूकता लाने की पहल है। नाटक में मनोज मानव वत्स , महिमा ,सृजन ,प्रिंस राज और सिमरन ने अभिनय किया।
पटना :- प्रेमचंद रंगशाला के प्रेक्षागृह में बिहार की बेहद लोकप्रिय सांस्कृतिक - सामाजिक संस्था 'बयार' की ओर से नाटक 'चरित्र-वध' का मंचन किया गया। बयार की प्रस्तुति 'चरित्र-वध' समाज के विभिन्न धाराओं के विचार और उनके टकराहट के बीच नकारात्मक और प्रगतिशील सोच के लुका-छिपी पर सीधा चोट है। अभिनेता मनोज मानव का चरित्र प्रोफेसर ‘धार्मिक कट्टरपंथी सोच और मानवता, सामाजिक समभाव एवं समरसता’ के वजूद को 'धर्म मनुष्य के लिए बनाया है या मनुष्य धर्म का गुलाम हो गया है' जैसे सवाल से जहां एक तरफ सामाजिक- सांस्कृतिक खाई को पाटने की कोशिश करता है। वही दूसरा कट्टरपंथी चरित्र धर्म के अफीमी सोच के खौफ से दूर मरने और मर मिटाने तक को वाजिब मानता है । सामाजिक सहिष्णुता के जीवन्तता की आखिरी सच के साथ ‘बयार’ की ये नई प्रस्तुति 'चरित्र-वध' प्रेक्षागृह के दर्शक के बीच में ज्वलंत सवाल छोड़ जाता है। इस नाटक में मनोज मानव सिंह और गोपाल पांडे मुख्य भूमिका में रहे। मंच पर प्रकाश परिकल्पना राजीव रॉय, पार्श्व-संगीत एवं ध्वनि-प्रभाव- धीरज कुमार, व
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